यह सतगुरु श्री गरीबदास महाराज जी की वाणी श्री ग्रन्थ साहिब जी सतगुरु ब्रह्मासागर जी भुरीवाले महाराज ने अपने परमशिष्य स्वामी सन्त राम महाराज जी के हाथ से सन् 1923 को श्री कैलपुर धाम में और सन् 1925 को श्री दहैडू धाम में लिखवाई है।